तेरे इश्क़ बिन - मेरा खुदा हो मुझसे रूठा

ऐ जग है झूठा ! तेरे इश्क़ बिन मेरा खुदा हो मुझसे रूठा,
छोड़ चला मैं अब यह संसारा..
हुआ दीवाना मैं कबीराना का !!
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न रफू होवे अब यह तरार फहमी की !
टूटकर चाहा तेरी चाहत में- बिखरा मैं काच की तरहा,
तिनका तिनका जोड़ कर आंधियो में बिखरा झोपड़ा मेरे दिल का..
न खुल के जी पाया न खुल के रो पाया तेरे इश्क़ की वीरान गलियों में !!
छोड़ चला - मैं अब यह संसारा !
हुआ दीवाना मैं कबीराना का,
तेरे इश्क़ बिन मुझसे हो मेरे दिल का हाल हुआ पराया..
चाँद हुआ दागी और सूरज हुआ बेईमान,
अब न रास आए यह जिन्दरी पल-भर में इसे कुर्बान करू !!
रातभर का जोगी झूमता हु तेरी यादो में !
रोह-रोहकर अँखियो से बहता निल तेरी जुदाईयोँ में,
न मसरूफ हुए तेरी आवारंगी की लत से उम्मीद अब भी वफ़ा की है..
खोकर हम रुसवा हुए दिल की पनाहों से आहे मेरी बेसकाति रही !!
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मैं कबीरा सा बावला हुआ !
छोड़ चला मैं यह फरेबी आंखों को,
करू नयन बन्द उन फरेबी ख्वाबो को ही पाहू..
रातो में अब सुकून तेरी यादों की बातों में ढूढं रहा !!
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इश्क का झूठा चोला छोड़ - मैं भगवा चोला पहन के चला !
दिल की हरजाही मानके - मैं कबीरा बन दुनिया छोड़ के चला,
मन की माया खेलने मैं बिलखता बालक बनके चला..
देखके अनदेखा किया हो तूने - मैं मुस्करा के बात जानके हो चला !!
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ऐ जग है झूठा !
तेरे इश्क़ बिन मेरा खुदा हो मुझसे रूठा,
छोड़ चला मैं यह संसारा..
हुआ दीवाना मैं कबीराना का !!
                                                 #M@n6i

                           

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