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बेचारे पुरुषों का दर्द कौन समझे ?

" अहम "

" आधे हम, अधूरे हमारे ख्वाब "

कैसी दी है ? रब तूने हो आज दुआई..✍

एक आखिरी खत Selfish के नाम..✍

जुनून अब " माँगी " का तप रहा..✍

मैं अगर इस देश का प्रधान होता तो..✍

चलन

तेरे इश्क़ बिन - मेरा खुदा हो मुझसे रूठा

टूटे दिल का मिझाज

" कलम "

" भविष्य और अतीत "